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"मिलीं शाखें गिलहरी को इमलियों की / ऋषभ देव शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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22:56, 2 मई 2009 के समय का अवतरण

मिलीं शाखें गिलहरी को इमलियों की
छिन गईं लेकिन छटाएँ बिजलियों की

यह व्यवस्था है कि फेंको लेखनी को
चाहते हो खैरियत यदि उँगलियों की

न्याय को बंधक बनाकर बंदरों का
वे मिटाएँगे लड़ाई बिल्लियों की

आदमी की प्यास के दो होंठ सिलकर
प्राण रक्षा वे करेंगे मछलियों की

गीत के मेले लगाती राजधानी
चीख पिसती बजबजाती पसलियों की

आग सोई, लकड़ियाँ सीली हुई हैं
है ज़रूरत और सूखी तीलियों की