भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"स्वप्न का होना बेहद जरूरी है / विश्वरंजन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
हेमंत जोशी (चर्चा | योगदान) |
हेमंत जोशी (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
|नाम=शब्दकमल खिला है | |नाम=शब्दकमल खिला है | ||
|रचनाकार=[[विश्वरंजन]] | |रचनाकार=[[विश्वरंजन]] | ||
− | |प्रकाशक=प्रकाशन संस्थान | + | |प्रकाशक=प्रकाशन संस्थान, दिल्ली |
|वर्ष=1999 | |वर्ष=1999 | ||
|भाषा=हिन्दी | |भाषा=हिन्दी | ||
पंक्ति 32: | पंक्ति 32: | ||
* [[ हम-तुम मिल कर उसमें हज़ारों फूल खिलाएँगे/ विश्वरंजन]] | * [[ हम-तुम मिल कर उसमें हज़ारों फूल खिलाएँगे/ विश्वरंजन]] | ||
* [[ शक्ति स्पंदन/ विश्वरंजन]] | * [[ शक्ति स्पंदन/ विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ मैं अंदर आ कैनवास और रंगों से खेलने लगता हूँ/ विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ हम और तुम अब कहीं नहीं जाएँगे/ विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ मेरा दूर निकल जाना तुम्हारे लिए मेरा प्यार है/ विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ हम खेलेंगे...और हमारे बच्चे मुस्कराएँगे एक वयस्क मुस्कान/ विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ प्यार/ विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ ...और मैं बेहद डर जाता हूँ/ विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ पुनः सचमुच हो जाए प्यार/ विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ कविता का होना/ विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ तुम्हें देखकर साँसें रुक जाती है सहसा/ विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ बहुत सारा प्यार देना चाहता हूँ आज/ विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ आकाश सी फैल गई है हमारी दोस्ती/ विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ नन्हा बालक/ विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ सन्नाटे को फाड़ती है एक मासूम बच्चे की रोने की आवाज़/ विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ बैठकखाने में पड़ा बैचारा बुद्ध/ विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ रात में पेड़...कुछ तारे/ विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ पतंग/ विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ / विश्वरंजन]] | ||
+ | * [[ / विश्वरंजन]] | ||
<sort order="asc" class="ul"> | <sort order="asc" class="ul"> | ||
* [[ / विश्वरंजन]] | * [[ / विश्वरंजन]] |
00:49, 6 मई 2009 का अवतरण
शब्दकमल खिला है
रचनाकार | विश्वरंजन |
---|---|
प्रकाशक | प्रकाशन संस्थान, दिल्ली |
वर्ष | 1999 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविता |
विधा | |
पृष्ठ | 119 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- तुम ग़लत कहती हो मैं तुम्हारा मुन्ना नहीं हूँ माँ / विश्वरंजन
- रात की बात / विश्वरंजन
- शब्दों के बाबत / विश्वरंजन
- रेगीस्तानी स्वप्न का ध्वस्त होना / विश्वरंजन
- मैं फिर से नया लोहबान जलाता हूँ / विश्वरंजन
- अंघेरे से लड़ने के लिए स्वप्न का होना बेहद ज़रूरी है / विश्वरंजन
- साँसों के बीच की चुप्पी और नावों का शहर / विश्वरंजन
- मैं अभी तक शाम से टिका लेटा अपनी सुबह में कैद हूँ / विश्वरंजन
- मेरा खानाबदोश हो जाना / विश्वरंजन
- आदिम प्रलय की प्रतिगूँज आज तक जीवित है मुझमें / विश्वरंजन
- प्रश्नचिह्न / विश्वरंजन
- वह लड़की बड़ी हो गई है/ विश्वरंजन
- बोरिस! तुम ग़लत कहते हो कि जीवन बच्चों का खेल नहीं / विश्वरंजन
- एक नई पूरी सुबह / विश्वरंजन
- हम-तुम मिल कर उसमें हज़ारों फूल खिलाएँगे/ विश्वरंजन
- शक्ति स्पंदन/ विश्वरंजन
- मैं अंदर आ कैनवास और रंगों से खेलने लगता हूँ/ विश्वरंजन
- हम और तुम अब कहीं नहीं जाएँगे/ विश्वरंजन
- मेरा दूर निकल जाना तुम्हारे लिए मेरा प्यार है/ विश्वरंजन
- हम खेलेंगे...और हमारे बच्चे मुस्कराएँगे एक वयस्क मुस्कान/ विश्वरंजन
- प्यार/ विश्वरंजन
- ...और मैं बेहद डर जाता हूँ/ विश्वरंजन
- पुनः सचमुच हो जाए प्यार/ विश्वरंजन
- कविता का होना/ विश्वरंजन
- तुम्हें देखकर साँसें रुक जाती है सहसा/ विश्वरंजन
- बहुत सारा प्यार देना चाहता हूँ आज/ विश्वरंजन
- आकाश सी फैल गई है हमारी दोस्ती/ विश्वरंजन
- नन्हा बालक/ विश्वरंजन
- सन्नाटे को फाड़ती है एक मासूम बच्चे की रोने की आवाज़/ विश्वरंजन
- बैठकखाने में पड़ा बैचारा बुद्ध/ विश्वरंजन
- रात में पेड़...कुछ तारे/ विश्वरंजन
- पतंग/ विश्वरंजन
- / विश्वरंजन
- / विश्वरंजन
<sort order="asc" class="ul">