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"धुरि भरे अति सोहत स्याम जू / रसखान" के अवतरणों में अंतर
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धूरि भरे अति सोहत स्याम जू, तैसी बनी सिर सुंदर चोटी। | धूरि भरे अति सोहत स्याम जू, तैसी बनी सिर सुंदर चोटी। | ||
14:16, 8 मई 2009 के समय का अवतरण
धूरि भरे अति सोहत स्याम जू, तैसी बनी सिर सुंदर चोटी।
खेलत खात फिरैं अँगना, पग पैंजनी बाजति, पीरी कछोटी॥
वा छबि को रसखान बिलोकत, वारत काम कला निधि कोटी।
काग के भाग बड़े सजनी, हरि हाथ सों लै गयो माखन रोटी॥