भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"माथे पे बिंदिया चमक रही / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
रचनाकार: [[भावना कुँअर]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category: कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category: भावना कुँअर]]
+
|रचनाकार=भावना कुँअर
 
+
|संग्रह=
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
}}
 
+
 
+
 
माथे पे बिंदिया चमक रही
 
माथे पे बिंदिया चमक रही
  

14:51, 8 मई 2009 का अवतरण

माथे पे बिंदिया चमक रही

हाथों में मेंहदी महक रही।


शर्माते से इन गालों पर

सूरज सी लाली दमक रही।


खन-खन से करते कॅगन की

आवाज़ मधुर सी चहक रही।


है नये सफर की तैयारी

पैरों में पायल छनक रही।