भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आँखों से मीठी शरारत करती हो तुम/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनय प्रजापति 'नज़र' }} category: गीत <poem> '''लेखन वर्ष: 2002 ...)
 
(कोई अंतर नहीं)

05:32, 9 मई 2009 के समय का अवतरण


लेखन वर्ष: 2002
आँखों से मीठी शरारत करती हो तुम
दिल ही दिल में मुहब्बत करती हो तुम
इक़रार करती नहीं इन्कार करती नहीं
फिर क्यों मुस्कुराया करती हो तुम

छुआ नज़रों ने जब तुझे पहली बार
तीरे-नज़र तेरा हुआ दिल के पार
रब से और कुछ माँगा नहीं माँगा तेरा दीदार
झूठ ही कह दो करती हो प्यार
कर लूँ तेरा एतबार…

आँखों से मीठी शरारत करती हो तुम
दिल ही दिल में मुहब्बत करती हो तुम
इक़रार करती नहीं इन्कार करती नहीं
फिर क्यों मुस्कुराया करती हो तुम

चाँद से चेहरे वाली तेरी ज़ुल्फ़ें हैं रात
होती नहीं कभी तेरी-मेरी मुलाक़ात
कोई तो बहाना हो मेरा तुझसे मिल पाना हो
चाँदनी हो जाये मेरी हर रात
हो जाये तेरी-मेरी मुलाक़ात…

आँखों से मीठी शरारत करती हो तुम
दिल ही दिल में मुहब्बत करती हो तुम
तुम्हें कहना तो होगा कहती नहीं हो
वह क्या बात है जिससे डरती हो तुम