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"भीगी हुई आँखों में तस्वीर तुम्हारी है/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर
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लेखन वर्ष: 2004
भीगी हुई आँखों में तस्वीर तुम्हारी है
रूठी हुई हमसे तक़दीर हमारी है
मैं दिवाना राहे-इश्क़ का मुसाफ़िर हूँ
मेरे पाँव में पड़ी ज़ंजीर तुम्हारी है
मैं तेरे लिए अपनी जान तलक दे दूँगा
मैं तेरा राँझणा और तू हीर हमारी है
एक दिन तुमको मुझसे प्यार करना है
मेरे हाथों में प्यार की लक़ीर तुम्हारी है