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"आपने उसकी तबाही का / कमलेश भट्ट 'कमल'" के अवतरणों में अंतर

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आपने उसकी तबाही का कोई अवसर नहीं छोड़ा
 
आपने उसकी तबाही का कोई अवसर नहीं छोड़ा
  

13:46, 10 मई 2009 के समय का अवतरण

आपने उसकी तबाही का कोई अवसर नहीं छोड़ा

जुल्म की हद ने ही उसमें जुल्म का कुछ डर नहीं छोड़ा।


कुछ अजब अन्दाज़ में आँधी चली हर बार मज़हब की

उसने कोशिश भर, कहीं पर खुशनुमा मंज़र नहीं छोड़ा।


घर जलाकर जिसने बेघर कर दिया था बुगुनाहों को

कोई साया, वक्त़ ने उस शख्स़ के सर पर नहीं छोड़ा।


पूजने भर से किसी को कब मिला है आज तक ईश्वर

पूजने वालों ने तो कोई कहीं पत्थर नहीं छोड़ा।


नोचने वालों के कदमों से लिपट कर रह गया आखिर

आदमी का फूल ने हर हाल में आदर नहीं छोड़ा।