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"दोहरा नागरिक / तेजेन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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वो, जो कभी मेरा अपना था
  
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समझता है कमज़ोरी, दिल की मेरे
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और लिख दो अपने नाम के साथ मेरा नाम !
  
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वो, जो कभी मेरा अपना था<br><br>
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उसे नहीं रखना है मुझे
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करके अपनी सांसों में बंद
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उसे बस रहता है मेरी पूंजी से ही काम
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फिर चाहे मैं लिख दूं उसके नाम के साथ अपना नाम !
  
समझता है कमज़ोरी, दिल की मेरे<br>
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अपना बनाने की भी रखता है शर्तें
भावनाओं का मेरी उड़ाता है मज़ाक<br>
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भूल जाता है प्यार की पहली शर्त
कहता है सरे आम<br>
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कि प्यार शर्तों पर नहीं किया जाता
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मेरे हर काम पर लगेगी पाबंदी
बस चुकाओ मेरे दाम<br>
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मुझे सदा होंगी अपनी हदें पहचाननी
और लिख दो अपने नाम के साथ मेरा नाम ! <br><br>
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कभी उससे नहीं रखनी होगी कोई अपेक्षा
 
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हर वक्त पीना होगा बेरूख़ी का कड़वा जाम
मेरे बदन से नहीं आयेगी उसे <br>
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तभी लिख पाऊंगा उसके नाम के साथ अपना नाम !
किसी दूसरे के शरीर की गंध<br>
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उसे बस रहता है मेरी पूंजी से ही काम<br>
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कभी उससे नहीं रखनी होगी कोई अपेक्षा<br>
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तभी लिख पाऊंगा उसके नाम के साथ अपना नाम !<br><br>
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15:09, 13 मई 2009 के समय का अवतरण

मुझसे अपना होने के मांगता है दाम
वो, जो कभी मेरा अपना था

समझता है कमज़ोरी, दिल की मेरे
भावनाओं का मेरी उड़ाता है मज़ाक
कहता है सरे आम
चाहे रहो किसी और के हो कर भी
बस चुकाओ मेरे दाम
और लिख दो अपने नाम के साथ मेरा नाम !

मेरे बदन से नहीं आयेगी उसे
किसी दूसरे के शरीर की गंध
उसे नहीं रखना है मुझे
करके अपनी सांसों में बंद
कद्र ओहदे की करे, इंसां को नहीं जाने
मुझ से अपनी ज़ुबां में वो कभी न बात करे
उसे बस रहता है मेरी पूंजी से ही काम
फिर चाहे मैं लिख दूं उसके नाम के साथ अपना नाम !

अपना बनाने की भी रखता है शर्तें
भूल जाता है प्यार की पहली शर्त
कि प्यार शर्तों पर नहीं किया जाता
मेरे हर काम पर लगेगी पाबंदी
मुझे सदा होंगी अपनी हदें पहचाननी
कभी उससे नहीं रखनी होगी कोई अपेक्षा
हर वक्त पीना होगा बेरूख़ी का कड़वा जाम
तभी लिख पाऊंगा उसके नाम के साथ अपना नाम !