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"इस क़दर साद-ओ-पुरकार कहीं देखा है / सौदा" के अवतरणों में अंतर
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18:25, 15 मई 2009 का अवतरण
इस क़दर साद-ओ-पुरकार<ref>सादा और नाज़-नख़रे वाला</ref> कहीं देखा है
बेनमूदार<ref> अप्रकट</ref> इतना नमूदार<ref>प्रकट</ref> कहीं देखा है
ख़्वाह<ref>चाहे</ref> काबे में तुझे ख़्वाह मैं बुतख़ाने में
इतना समझूँ हूँ मिरे यार कहीं देखा है
दुख-दहिंद<ref>दुख देने वाले</ref> और भी हैं लेक<ref>लेकिन</ref> किसी के कोई
दिल-सा भी दर-पए-आज़ार<ref>कष्ट देने पर आमादा</ref> कहीं देखा है
नज़र आती ही नहीं शक्ले-रिहाई<ref>रिहाई का उपाय</ref>, मुझ-सा
साइते-बद<ref>बुरी साइत</ref> का गिरफ़्तार कहीं देखा है
फिरे है कूच-ओ-बाज़ार में तू क्यों 'सौदा'
जिंसे-दिल<ref>दिल रूपी वस्तु</ref> का भी ख़रीदार कहीं देखा है
शब्दार्थ:
शब्दार्थ
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