भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बहुत से गीत ख़्यालों में / तेजेन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | रचनाकार | + | {{KKGlobal}} |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=तेजेन्द्र शर्मा | |
+ | }} | ||
+ | <poem> | ||
+ | बहुत से गीत ख्यालों में सो रहे थे मेरे | ||
+ | तुम्हारे आने से जागे हैं, कसमसाए हैं | ||
− | + | जो नग़मे आजतक मैं गुनगुना न पाया था | |
+ | तुम्हारी बज़्म में ख़ातिर तुम्हारी गाए हैं | ||
− | + | मेरे हालात से अच्छी तरह तूं है वाकिफ़ | |
− | + | ज़माने भर की ठोकरों के हम सताए हैं | |
− | जो | + | तेरे किरदार की तारीफ़ में जो लिखे थे |
− | + | उन्हीं नग़मों को अपने दिल में हम बसाए हैं | |
− | + | फूल, तारे औ चांद पड़ ग़ये पुराने हैं | |
− | + | अपने अरमानों से यादें तेरी सजाए हैं | |
− | + | साक़ी पैमाना सागरो मीना, किसके लिए | |
− | + | तेरे मदमस्त नयन मुझको जो पिलाए हैं | |
− | + | </poem> | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | साक़ी पैमाना सागरो मीना, किसके लिए | + | |
− | तेरे मदमस्त नयन मुझको जो पिलाए हैं< | + |
21:44, 15 मई 2009 के समय का अवतरण
बहुत से गीत ख्यालों में सो रहे थे मेरे
तुम्हारे आने से जागे हैं, कसमसाए हैं
जो नग़मे आजतक मैं गुनगुना न पाया था
तुम्हारी बज़्म में ख़ातिर तुम्हारी गाए हैं
मेरे हालात से अच्छी तरह तूं है वाकिफ़
ज़माने भर की ठोकरों के हम सताए हैं
तेरे किरदार की तारीफ़ में जो लिखे थे
उन्हीं नग़मों को अपने दिल में हम बसाए हैं
फूल, तारे औ चांद पड़ ग़ये पुराने हैं
अपने अरमानों से यादें तेरी सजाए हैं
साक़ी पैमाना सागरो मीना, किसके लिए
तेरे मदमस्त नयन मुझको जो पिलाए हैं