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"इब्ने-मरियम हुआ करे कोई / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

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01:54, 18 मई 2009 का अवतरण

इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई
मेरे दिल की दवा करे कोई

शर'अ-ओ-आईन पर मदार सही
ऐसे क़ातिल का क्या करे कोई

चाल जैसे कड़ी कमाँ का तीर
दिल में ऐसे के जा करे कोई

बात पर वाँ ज़ुबान कटती है
वो कहें और सुना करे कोई

बक रहा हूँ जुनूँ में क्या-क्या
कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई

न सुनो गर बुरा कहे कोई
न कहो गर बुरा करे कोई

रोक लो गर ग़लत चले कोई
बख़्श दो गर ग़लत करे कोई

कौन है जो नहीं है हाजतमंद
किसकी हाजत रवा करे कोई

क्या किया ख़िज्र ने सिकंदर से
अब किसे रहनुमा करे कोई

जब तवक़्क़ो ही उठ गयी "ग़ालिब"
क्यों किसी का गिला करे कोई