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"कब वो सुनता है कहानी मेरी / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

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00:18, 21 मई 2009 का अवतरण

कब वो सुनता है कहानी मेरी
और फिर वो भी ज़बानी मेरी

ख़लिश-ए-ग़्मज़ा-ए-खूँरेज़ ना पूछ
देख खुनबफ़िशानी मेरी

क्या बयाँ करके मेरा रोएँगे यार
मगर अशुफ़्ता-बयानी मेरी

हूँ ज़िखुद रफ़्ता-ए-बैदा-ए-ख़्याल
भूल जाना है निशानी मेरी

मुत्काबिल है मुक़ाबिल मेरा
रुक गया देख रवानी मेरी

क़द्र-ए-संग-ए-सर-ए-राह रखता हूँ
सख़्त अर्ज़ान है गिरानी मेरी

दहन उसका जो न मालूम हुआ
खुल गयी है चमनदानी मेरी

कर दिया ज़ौफ़ ने अज़ीज़ "ग़ालिब"
नंग-ए-पीरी है जवानी मेरी