भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नसीम तेरी क़बा / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अली सरदार जाफ़री }} <poem> नसीम तेरी क़बा ========= नसीम त...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:39, 21 मई 2009 का अवतरण
नसीम तेरी क़बा
=========
नसीम तेरी क़बा, बूए-गुल है पैराहन
हया का रंग रिदाए-बहार१ उढा़ता है
तेरे बदन का चमन ऐसे जगमगाता है
कि जैसे सैले-सहत, जैसे नूर का दामन
सितारे डूबत हैं चाँद झिलमिलाता है
१.बहार की चादर