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"तेरी आवाज़ / रवीन्द्र दास" के अवतरणों में अंतर

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आइना है तेरी आवाज़

जहाँ दिखती है मुझे

अपनी मुकम्मिल शक्ल

हो उठता हूँ जीवित

सुनकर तेरी आवाज़

अंधेरों में भी

सूझ पड़ता है रास्ता

हो जाता हूँ शामिल

दुनिया में

नई ताजगी

और नए विश्वास के साथ ,

जब सुनता हूँ -

तेरी आवाज़