"देश की धरती / रामावतार त्यागी" के अवतरणों में अंतर
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मन समर्पित, तन समर्पित | मन समर्पित, तन समर्पित | ||
16:12, 24 मई 2009 के समय का अवतरण
मन समर्पित, तन समर्पित
और यह जीवन समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ !
माँ, तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अंकिचन
किंतु इतना कर रहा फिर भी निवेदन
थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब भी
कर दया स्वीकार लेना वह समर्पण
गान अर्पित, प्राण अर्पित
रक्त का कण-कण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ !
कर रहा आराधना मैं आज तेरी
एक विनती तो करो स्वीकार मेरी
भाल पर मल दो चरण की धूल थोड़ी
शीश पर आशीष की छाया घनेरी
स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित
आयु का क्षण-क्षण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ !
तोड़ता हूँ मोह का बंधन क्षमा दो
गाँव मेरे, द्वार, घर, आँगन क्षमा दो
देश का जयगान अधरों पर सजा है
देश का ध्वज हाथ में केवल थमा दो
ये सुमन लो, यह चमन लो
नीड़ का तृण-तृण समर्पित
चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ !