भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वायु के प्रति / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत | |
− | + | |संग्रह= | |
− | + | }} | |
− | + | ||
प्राण! तुम लघु लघु गात!<br> | प्राण! तुम लघु लघु गात!<br> | ||
नील नभ के निकुंज में लीन,<br> | नील नभ के निकुंज में लीन,<br> |
20:39, 25 मई 2009 का अवतरण
प्राण! तुम लघु लघु गात!
नील नभ के निकुंज में लीन,
नित्य नीरव, नि:संग नवीन,
निखिल छवि की छवि! तुम छवि हीन
अप्सरी-सी अज्ञात!
अधर मर्मरयुत, पुलकित अंग
चूमती चलपद चपल तरंग,
चटकतीं कलियाँ पा भ्रू-भंग
थिरकते तृण; तरु-पात!
हरित-द्युति चंचल अंचल छोर
सजल छवि, नील कंचु, तन गौर,
चूर्ण कच, साँस सुगंध झकोर,
परों में सांय-प्रात!
विश्व हृत शतदल निभृत निवास,
अहिर्निशि जग-जीवन-हास-विलास,
अदृश्य, अस्पृश्य अजात!