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"ख़ून में लथ-पथ हो गये / शहरयार" के अवतरणों में अंतर

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आओ उठो कुछ करें सहरा की जानिब चलें<br>
 
आओ उठो कुछ करें सहरा की जानिब चलें<br>
बैठे बैठे थक गये साये में दिलदार के<br><br>
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बैठे-बैठे थक गये साये में दिलदार के<br><br>
  
 
रास्ते सूने हो गये दीवाने घर को गये<br>
 
रास्ते सूने हो गये दीवाने घर को गये<br>

23:26, 29 मई 2009 के समय का अवतरण

ख़ून में लथ-पथ हो गये साये भी अश्जार के
कितने गहरे वार थे ख़ुशबू की तलवार के

इक लम्बी चुप के सिवा बस्ती में क्या रह गया
कब से हम पर बन्द हैं दरवाज़े इज़हार के

आओ उठो कुछ करें सहरा की जानिब चलें
बैठे-बैठे थक गये साये में दिलदार के

रास्ते सूने हो गये दीवाने घर को गये
ज़ालिम लम्बी रात की तारीकी से हार के

बिल्कुल बंज़र हो गई धरती दिल के दश्त की
रुख़सत कब के हो गये मौसम सारे प्यार के