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"ज़िन्दगी को न बना दें वो सज़ा मेरे बाद / नासिर काज़मी" के अवतरणों में अंतर

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वो जो कहता था कि 'नासिर' के लिए जीता हूं
 
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उसका क्या जानिए, क्या हाल हुआ मेरे बाद
 
उसका क्या जानिए, क्या हाल हुआ मेरे बाद

01:52, 31 मई 2009 का अवतरण


ज़िन्दगी को न बना दें वो सज़ा मेरे बाद
हौसला देना उन्हें मेरे ख़ुदा मेरे बाद

कौन घूंघट को उठाएगा सितमगर कह के
और फिर किस से करेंगे वो हया मेरे बाद

हाथ उठते हुए उनके न देखेगा
किस के आने की करेंगे वो दुआ मेरे बाद

फिर ज़माना-ए-मुहब्बत की न पुरसिश होगी
रोएगी सिसकियाँ ले-ले के वफ़ा मेरे बाद

वो जो कहता था कि 'नासिर' के लिए जीता हूं
उसका क्या जानिए, क्या हाल हुआ मेरे बाद