भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कहाँ है ओ अनंत के वासी / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
प्रेम शक्ति के तार भले ही मैंने तुझ से बांधे | प्रेम शक्ति के तार भले ही मैंने तुझ से बांधे | ||
+ | |||
रह रह कर उठ रहे विवादी सुर भी उनसे आधे | रह रह कर उठ रहे विवादी सुर भी उनसे आधे | ||
+ | |||
नयनों के सम्मुख दिखती है मुझको अंध गुफा सी | नयनों के सम्मुख दिखती है मुझको अंध गुफा सी |
07:40, 2 जून 2009 का अवतरण
कहाँ है ओ अनंत के वासी तू मन मे है फिर भी आँखे है दर्शन की प्यासी
प्रेम शक्ति के तार भले ही मैंने तुझ से बांधे
रह रह कर उठ रहे विवादी सुर भी उनसे आधे
नयनों के सम्मुख दिखती है मुझको अंध गुफा सी