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"एक मौन / शमशेर बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर
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सोने के सागर में अहरह | सोने के सागर में अहरह |
18:17, 3 जुलाई 2008 के समय का अवतरण
सोने के सागर में अहरह
एक नाव है
(नाव वह मेरी है)
सूरज का गोल पाल संध्या के
सागर में अहरह
दोहरा है...
ठहरा है...
(पाल वो तुम्हारा है)
एक दिशा नीचे है
एक दिशा ऊपर है
यात्री ओ!
एक दिशा आगे है
एक दिशा पीछे है
यात्री ओ!
हम-तुम नाविक हैं
इस दस ओर के:
अनुभव एक हैं
दस रस ओर के:
यात्री ओ!
आओम एकहरी हैं लहरें
अहरह ।
संध्या, ओ संध्या! ठहर-
मत बह!
अमरन मौन एक भाव है
(और वह भाव हमारा है ! )
ओ मन ओ
तू एक नाव है !
(और वह नाव हमारी है ! )
(१९५१ में लिखित)