"खेल / रवीन्द्र दास" के अवतरणों में अंतर
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खेल, | खेल, | ||
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बहुत पहले था बच्चों के जिम्मे | बहुत पहले था बच्चों के जिम्मे | ||
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तब खेल जैसा था | तब खेल जैसा था | ||
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हो जाते थे विश्रांत और निर्द्वन्द्व | हो जाते थे विश्रांत और निर्द्वन्द्व | ||
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देखकर बच्चों का खेलना. | देखकर बच्चों का खेलना. | ||
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होने लगे, धीरे-धीरे फिर, | होने लगे, धीरे-धीरे फिर, | ||
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बच्चे अपने और पराए | बच्चे अपने और पराए | ||
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और इस तरह जन्म लिया दल ने | और इस तरह जन्म लिया दल ने | ||
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दल के साथ ही जन्मी थी | दल के साथ ही जन्मी थी | ||
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जीत और हार | जीत और हार | ||
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पीछे से दलवाद भी. | पीछे से दलवाद भी. | ||
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अब, खेल | अब, खेल | ||
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खेल न रहा, बन गया जरिया | खेल न रहा, बन गया जरिया | ||
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जीत का | जीत का | ||
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और हार का | और हार का | ||
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जो देखते थे खेल पहले | जो देखते थे खेल पहले | ||
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अब देखने लगे | अब देखने लगे | ||
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जीत और हार. | जीत और हार. | ||
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इस परिवर्तन का हासिल यह था | इस परिवर्तन का हासिल यह था | ||
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कि बीच में घुस गया व्यापार | कि बीच में घुस गया व्यापार | ||
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ताकि जीते दल को ईनाम | ताकि जीते दल को ईनाम | ||
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मिले हारे को तिरस्कार. | मिले हारे को तिरस्कार. | ||
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शुरू शुरू में राजा था व्यापारी | शुरू शुरू में राजा था व्यापारी | ||
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फिर बना महकमा | फिर बना महकमा | ||
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सो, लेना क्या था महकमा को उत्तेजना से! | सो, लेना क्या था महकमा को उत्तेजना से! | ||
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वह तो करता था कारोबार | वह तो करता था कारोबार | ||
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प्रतिष्ठा का, | प्रतिष्ठा का, | ||
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जबकि उस उत्तेजना से जुड़ा था- | जबकि उस उत्तेजना से जुड़ा था- | ||
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राष्ट्रवाद, | राष्ट्रवाद, | ||
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उसी उत्तेजना से जुड़ा था बाज़ार | उसी उत्तेजना से जुड़ा था बाज़ार | ||
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चूंकि सारे मस्ले जुड़े थे खेल से | चूंकि सारे मस्ले जुड़े थे खेल से | ||
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इसलिए, राजनीति ने प्रश्रय दिया- | इसलिए, राजनीति ने प्रश्रय दिया- | ||
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बाज़ार को. | बाज़ार को. | ||
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फिर, बाज़ार में तो बेची और खरीदी जाती है | फिर, बाज़ार में तो बेची और खरीदी जाती है | ||
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हर चीज़ | हर चीज़ | ||
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सो, आज कल यानी अब | सो, आज कल यानी अब | ||
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नहीं किया जाता है कोई भी फ़र्क | नहीं किया जाता है कोई भी फ़र्क | ||
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खेल, उत्तेजना अथवा राष्ट्रवाद में | खेल, उत्तेजना अथवा राष्ट्रवाद में | ||
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और जो करता है ऐसा कुछ | और जो करता है ऐसा कुछ | ||
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उसे पिछड़ा | उसे पिछड़ा | ||
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या विकास विरोधी कहकर किया जाता है- | या विकास विरोधी कहकर किया जाता है- | ||
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मान-मर्दित. | मान-मर्दित. | ||
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इन दिनों, | इन दिनों, | ||
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खेल को लेकर | खेल को लेकर | ||
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बड़ा ही व्यापक खेल चल रहा है. | बड़ा ही व्यापक खेल चल रहा है. | ||
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23:39, 6 जून 2009 के समय का अवतरण
खेल,
बहुत पहले था बच्चों के जिम्मे
खेल,
तब खेल जैसा था
हो जाते थे विश्रांत और निर्द्वन्द्व
देखकर बच्चों का खेलना.
होने लगे, धीरे-धीरे फिर,
बच्चे अपने और पराए
और इस तरह जन्म लिया दल ने
दल के साथ ही जन्मी थी
जीत और हार
पीछे से दलवाद भी.
अब, खेल
खेल न रहा, बन गया जरिया
जीत का
और हार का
जो देखते थे खेल पहले
अब देखने लगे
जीत और हार.
इस परिवर्तन का हासिल यह था
कि बीच में घुस गया व्यापार
ताकि जीते दल को ईनाम
मिले हारे को तिरस्कार.
शुरू शुरू में राजा था व्यापारी
फिर बना महकमा
सो, लेना क्या था महकमा को उत्तेजना से!
वह तो करता था कारोबार
प्रतिष्ठा का,
जबकि उस उत्तेजना से जुड़ा था-
राष्ट्रवाद,
उसी उत्तेजना से जुड़ा था बाज़ार
चूंकि सारे मस्ले जुड़े थे खेल से
इसलिए, राजनीति ने प्रश्रय दिया-
बाज़ार को.
फिर, बाज़ार में तो बेची और खरीदी जाती है
हर चीज़
सो, आज कल यानी अब
नहीं किया जाता है कोई भी फ़र्क
खेल, उत्तेजना अथवा राष्ट्रवाद में
और जो करता है ऐसा कुछ
उसे पिछड़ा
या विकास विरोधी कहकर किया जाता है-
मान-मर्दित.
इन दिनों,
खेल को लेकर
बड़ा ही व्यापक खेल चल रहा है.