भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वो साहिलों पे गाने वाले क्या हुए / नासिर काज़मी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
हेमंत जोशी (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
वो कश्तियाँ जलाने वाले क्या हुए<br><br> | वो कश्तियाँ जलाने वाले क्या हुए<br><br> | ||
− | वो सुबह आते आते रह गई कहाँ<br> | + | वो सुबह आते-आते रह गई कहाँ<br> |
जो क़ाफ़िले थे आने वाले क्या हुए<br><br> | जो क़ाफ़िले थे आने वाले क्या हुए<br><br> | ||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
वो रौशनी दिखाने वाले क्या हुए<br><br> | वो रौशनी दिखाने वाले क्या हुए<br><br> | ||
− | ये कौन लोग हैं मेरे इधर उधर<br> | + | ये कौन लोग हैं मेरे इधर-उधर<br> |
वो दोस्ती निभाने वाले क्या हुए<br><br> | वो दोस्ती निभाने वाले क्या हुए<br><br> | ||
पंक्ति 19: | पंक्ति 19: | ||
इमारतें बनाने वाले क्या हुए<br><br> | इमारतें बनाने वाले क्या हुए<br><br> | ||
− | ये आप हम तो बोझ हैं ज़मीन | + | ये आप-हम तो बोझ हैं ज़मीन के<br> |
ज़मीं का बोझ उठाने वाले क्या हुए<br><br> | ज़मीं का बोझ उठाने वाले क्या हुए<br><br> |
16:40, 7 जून 2009 के समय का अवतरण
वो साहिलों पे गाने वाले क्या हुए
वो कश्तियाँ जलाने वाले क्या हुए
वो सुबह आते-आते रह गई कहाँ
जो क़ाफ़िले थे आने वाले क्या हुए
मैं जिन की राह देखता हूँ रात भर
वो रौशनी दिखाने वाले क्या हुए
ये कौन लोग हैं मेरे इधर-उधर
वो दोस्ती निभाने वाले क्या हुए
इमारतें तो जल के राख हो गईं
इमारतें बनाने वाले क्या हुए
ये आप-हम तो बोझ हैं ज़मीन के
ज़मीं का बोझ उठाने वाले क्या हुए