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13:05, 18 जून 2009 के समय का अवतरण
भूल
हम समय की
रेत पर
लिख नाम अपना
भूल जाते हैं कि हम
कण-कण उड़ेंगे
आँधियाँ तो क्या
जरा झोंका बहुत है
प्राण दरकाने लगे तो।