भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वार्ता:अँगना में रौरा मचाइल चिरैयाँ सत / खड़ी बोली" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: यह गीत खड़ी बोली का नहीं है ; अत: इसे हटाकरदूसरे वर्ग [ भोज्पुरी या म...)
(कोई अंतर नहीं)

15:20, 20 जून 2009 का अवतरण

यह गीत खड़ी बोली का नहीं है ; अत: इसे हटाकरदूसरे वर्ग [ भोज्पुरी या मैथिली जो भी हो ]मे,न रखें । -रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' rdkamboj@gmail.com