भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मैं बनी मधुमास आली / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
लेखिका: [[महादेवी वर्मा]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:महादेवी वर्मा]]
+
|रचनाकार= महादेवी वर्मा
 
+
}}
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
 
+
 
मैं बनी मधुमास आली!<br><br>
 
मैं बनी मधुमास आली!<br><br>
  
आज मधुर विशाद की घिर करुण आई यामिनी <br>
+
आज मधुर विषाद  की घिर करुण आई यामिनी <br>
 
बरस सुधि के इन्दु से छिटकी पुलक की चांदनी<br>
 
बरस सुधि के इन्दु से छिटकी पुलक की चांदनी<br>
 
उमड़, आई री, दृगों में <br>
 
उमड़, आई री, दृगों में <br>
 
सजनि, कालिन्दी निराली!<br><br>
 
सजनि, कालिन्दी निराली!<br><br>
  
रजत स्वप्नों में उदित अपलक विरल तरावली,<br>
+
रजत स्वप्नों में उदित अपलक विरल तारावली,<br>
 
जाग सुक-पिक ने अचानक मदिर पन्चम तान ली;<br>
 
जाग सुक-पिक ने अचानक मदिर पन्चम तान ली;<br>
 
बह चली निःश्वास की मृदु<br>
 
बह चली निःश्वास की मृदु<br>

19:21, 24 जून 2009 के समय का अवतरण

मैं बनी मधुमास आली!

आज मधुर विषाद की घिर करुण आई यामिनी
बरस सुधि के इन्दु से छिटकी पुलक की चांदनी
उमड़, आई री, दृगों में
सजनि, कालिन्दी निराली!

रजत स्वप्नों में उदित अपलक विरल तारावली,
जाग सुक-पिक ने अचानक मदिर पन्चम तान ली;
बह चली निःश्वास की मृदु
वात मलय-निकुन्ज वाली!

सजल रोमों में बिछी है पांवड़े मधुस्नात से,
आज जीवन के निमिष भी दूत हैं अज्ञात से
क्या न अब प्रिय की बजेगी
मुरली मधुराग वाली?

मैं बनी मधुमास आली!