भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चितवौ जी मोरी ओर / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार= मीराबाई | |
− | {{ | + | |
− | | | + | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
}} | }} | ||
− | + | [[Category:पद]] | |
तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर।<br> | तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर।<br> | ||
हम चितवत तुम चितवत नाहीं<br> | हम चितवत तुम चितवत नाहीं<br> |
19:26, 24 जून 2009 के समय का अवतरण
तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर।
हम चितवत तुम चितवत नाहीं
- मन के बड़े कठोर।
- मन के बड़े कठोर।
मेरे आसा चितनि तुम्हरी
- और न दूजी ठौर।
- और न दूजी ठौर।
तुमसे हमकूँ एक हो जी
- हम-सी लाख करोर।।
- हम-सी लाख करोर।।
कब की ठाड़ी अरज करत हूँ
- अरज करत भै भोर।
- अरज करत भै भोर।
मीरा के प्रभु हरि अबिनासी
- देस्यूँ प्राण अकोर।।
- देस्यूँ प्राण अकोर।।