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22:15, 24 जून 2009 के समय का अवतरण
मैंने शहर को देखा और मैं मुस्कराया
वहाँ कोई कैसे रह सकता है
यह जानने मैं गया
और वापस न आया ।
(रचनाकाल :1974)
 
	
	

