भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मेरो मन राम-हि-राम रटै / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
रचनाकार:[[मीराबाई]]
+
{{KKRachna
[[Category:कविताएँ]]
+
|रचनाकार=मीराबाई
[[Category:मीराबाई]]
+
}}
 
+
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
  
 
मेरो मन राम-हि-राम रटै।
 
मेरो मन राम-हि-राम रटै।

22:26, 24 जून 2009 का अवतरण

मेरो मन राम-हि-राम रटै।

राम-नाम जप लीजै प्राणी! कोटिक पाप कटै।

जनम-जनम के खत जु पुराने, नामहि‍ लेत फटै।

कनक-कटोरै इमरत भरियो, नामहि लेत नटै।

मीरा के प्रभु हरि अविनासी तन-मन ताहि पटै।