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− | उम्र-ए-रफ़्ता की ये निशानी | + | उम्र-ए-रफ़्ता की ये निशानी है।<br><br> |
ख़ाक थी मौजज़न जहाँ में, और<br> | ख़ाक थी मौजज़न जहाँ में, और<br> | ||
− | हम को | + | हम को धोखा ये था के पानी है।<br><br> |
गिरिया हर वक़्त का नहीं बेहेच<br> | गिरिया हर वक़्त का नहीं बेहेच<br> | ||
− | दिल में कोई ग़म-ए-निहानी | + | दिल में कोई ग़म-ए-निहानी है।<br><br> |
हम क़फ़स ज़ाद क़ैदी हैं वरना<br> | हम क़फ़स ज़ाद क़ैदी हैं वरना<br> | ||
− | ता चमन परफ़शानी | + | ता चमन परफ़शानी है।<br><br> |
याँ हुये 'मीर' हम बराबर-ए-ख़ाक<br> | याँ हुये 'मीर' हम बराबर-ए-ख़ाक<br> | ||
− | वाँ वही नाज़-ओ-सर्गिरानी | + | वाँ वही नाज़-ओ-सर्गिरानी है। |
00:56, 29 जून 2009 के समय का अवतरण
अब जो इक हसरत-ए-जवानी है
उम्र-ए-रफ़्ता की ये निशानी है।
ख़ाक थी मौजज़न जहाँ में, और
हम को धोखा ये था के पानी है।
गिरिया हर वक़्त का नहीं बेहेच
दिल में कोई ग़म-ए-निहानी है।
हम क़फ़स ज़ाद क़ैदी हैं वरना
ता चमन परफ़शानी है।
याँ हुये 'मीर' हम बराबर-ए-ख़ाक
वाँ वही नाज़-ओ-सर्गिरानी है।