भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सेवक सिपाही सदा उन रजपूतन के / ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ठाकुर }} <poem> सेवक सिपाही सदा उन रजपूतन के दान युद...)
 
 
पंक्ति 14: पंक्ति 14:
  
 
जालिम दमाद हैँ अदेनिया ससुर के ।
 
जालिम दमाद हैँ अदेनिया ससुर के ।
चोजन चोजी महा मौजिन के महाराज  
+
चोजन के चोजी महा मौजिन के महाराज  
  
 
हम कविराज हैँ पै चाकर चतुर के ॥
 
हम कविराज हैँ पै चाकर चतुर के ॥

09:16, 30 जून 2009 के समय का अवतरण

सेवक सिपाही सदा उन रजपूतन के

दान युद्ध वीरता मेँ नेकु जे न मुरके ।
जस के करैया हैँ मही के महिपालन के

हिय के विशुद्ध हैँ सनेही साँचे उर के ।
ठाकुर कहत हम बैरी बेवकूफन के

जालिम दमाद हैँ अदेनिया ससुर के ।
चोजन के चोजी महा मौजिन के महाराज

हम कविराज हैँ पै चाकर चतुर के ॥


ठाकुर का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।