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"चार शे’र / यगाना चंगेज़ी" के अवतरणों में अंतर

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क्या ख़बर थी दिल-सा शाहं-शाह आख़िर एक दिन।
 
क्या ख़बर थी दिल-सा शाहं-शाह आख़िर एक दिन।
 
 
इश्क़ के हाथों गदाओं-का-गदा<ref>भिक्षुक</ref> हो जाएगा॥
 
इश्क़ के हाथों गदाओं-का-गदा<ref>भिक्षुक</ref> हो जाएगा॥
 
  
 
किस दिले-बेक़रार को तूने यह वलवला दिया।
 
किस दिले-बेक़रार को तूने यह वलवला दिया।
 
 
देना न देना एक है, ज़र्फ़ से<ref>आवश्यकता से अधिक</ref> जब सिवा दिया॥
 
देना न देना एक है, ज़र्फ़ से<ref>आवश्यकता से अधिक</ref> जब सिवा दिया॥
 
  
 
हुस्न चमक गया तो क्या, बू-ए-वफ़ा तो उड़ गई।
 
हुस्न चमक गया तो क्या, बू-ए-वफ़ा तो उड़ गई।
 
 
इस नई रोशनी ने आह दिल का कँवल बुझा दिया॥   
 
इस नई रोशनी ने आह दिल का कँवल बुझा दिया॥   
 
  
 
ज़िन्दा रक्खा है सिसकने के लिए।
 
ज़िन्दा रक्खा है सिसकने के लिए।
 
 
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13:22, 9 जुलाई 2009 के समय का अवतरण

क्या ख़बर थी दिल-सा शाहं-शाह आख़िर एक दिन।
इश्क़ के हाथों गदाओं-का-गदा<ref>भिक्षुक</ref> हो जाएगा॥

किस दिले-बेक़रार को तूने यह वलवला दिया।
देना न देना एक है, ज़र्फ़ से<ref>आवश्यकता से अधिक</ref> जब सिवा दिया॥

हुस्न चमक गया तो क्या, बू-ए-वफ़ा तो उड़ गई।
इस नई रोशनी ने आह दिल का कँवल बुझा दिया॥

ज़िन्दा रक्खा है सिसकने के लिए।
वाह! अच्छे दोस्त से पाला पड़ा॥

शब्दार्थ
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