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आठ शे’र / फ़ानी बदायूनी
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फूलों से तअ़ल्ल्लुक़ तो, अब भी है मगर इतना।
जब ज़िक्रे-बहार आया, समझे कि बहार आई॥
Pratishtha
KKSahayogi,
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