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शिकस्त / फ़राज़

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[[Category:नज़्म]]
<poem>
 
'''शिकस्त'''<ref>पराजय</ref>
 बारहा<ref>कई बार</ref>नुझसे मुझसे कहा दिल ने कि ऐ शोब्दागर<ref>धोबी</ref>
तू कि अल्फ़ाज़<ref>शब्दों</ref>से अस्नामगरी<ref>मूर्तिकारी</ref>करता है
कभी उस हुस्ने-दिलआरा<ref>प्रेमपात्र के सौंदर्य</ref>की भी तस्वीर बना