भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शिकस्त / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अहमद फ़राज़ |संग्रह= }} Category:नज़्म <poem> '''शिकस्त'''<ref>...) |
|||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
[[Category:नज़्म]] | [[Category:नज़्म]] | ||
<poem> | <poem> | ||
+ | |||
'''शिकस्त'''<ref>पराजय</ref> | '''शिकस्त'''<ref>पराजय</ref> | ||
− | बारहा<ref>कई बार</ref> | + | |
+ | बारहा<ref>कई बार</ref>मुझसे कहा दिल ने कि ऐ शोब्दागर<ref>धोबी</ref> | ||
तू कि अल्फ़ाज़<ref>शब्दों</ref>से अस्नामगरी<ref>मूर्तिकारी</ref>करता है | तू कि अल्फ़ाज़<ref>शब्दों</ref>से अस्नामगरी<ref>मूर्तिकारी</ref>करता है | ||
कभी उस हुस्ने-दिलआरा<ref>प्रेमपात्र के सौंदर्य</ref>की भी तस्वीर बना | कभी उस हुस्ने-दिलआरा<ref>प्रेमपात्र के सौंदर्य</ref>की भी तस्वीर बना |
20:20, 15 जुलाई 2009 के समय का अवतरण
शिकस्त<ref>पराजय</ref>
बारहा<ref>कई बार</ref>मुझसे कहा दिल ने कि ऐ शोब्दागर<ref>धोबी</ref>
तू कि अल्फ़ाज़<ref>शब्दों</ref>से अस्नामगरी<ref>मूर्तिकारी</ref>करता है
कभी उस हुस्ने-दिलआरा<ref>प्रेमपात्र के सौंदर्य</ref>की भी तस्वीर बना
जो तेरी सोच के ख़ाक़ों में लहू भरता है
बारहा दिल ने ये आवाज़ सुनी और चाहा
मान लूँ मुझसे जो विज्दान<ref>काव्य रसज्ञता</ref>मेरा कहता है
लेकिन इस इज्ज़<ref>दुर्बलता</ref>से हारा मेरे फ़न<ref>कला</ref>का जादू
चाँद को चाँद से बढ़कर कोई क्या कहता है
शब्दार्थ
<references/>