भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वास्ता बहरों से मुद्दा असल / प्रेम भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: <poem> वास्ता बहरों से है मुद्दा असल कौन गाए गीत होती क्या ग़ज़ल पेच त...)
(कोई अंतर नहीं)

00:15, 31 जुलाई 2009 का अवतरण

वास्ता बहरों से है मुद्दा असल
कौन गाए गीत होती क्या ग़ज़ल

पेच तारें करंट गुम चोटें कई
गाँव यह इतना कहां था टक्निकल

क्या करेंगे वैद या हों दाइयाँ
केस ही हो चुका जब सर्जिकल

साथ जीवन मरण का जिनसे रहा
देखकर हैं भागते हमको डबल

पोत लेते वो पुरानी ओबरी
फिर बिछाते आँगनों में मारबल

प्रेम की कोई थियोरी है कहां
आप खुद ही कीजिएगा प्रक्टिकल