भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मैं अपने हाल से खुद बेख़बर हूँ / सीमाब अकबराबादी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सीमाब अकबराबादी }} <poem> मैं अपने हाल से खु़द बेख़ब...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:17, 1 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
मैं अपने हाल से खु़द बेख़बर हूँ।
तुम्हारी कमनिगही का गिला क्या॥
दुआ दिल से जो निकले कारगर हो।
यहाँ दिल ही नहीं दिल से दुआ क्या॥