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"अब क्या छुपा सकेंगी उरयानिआँ हविस की / सीमाब अकबराबादी" के अवतरणों में अंतर
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22:24, 3 अगस्त 2009 का अवतरण
अब क्या छुपा सकेगी उरयानियाँ-हविस की?
काँधों से पिंडलियों तक लटकी हुई क़बायें॥
वक़्ते-विदाये-गुलशन नज़दीक आ रहा है।
अब आशियाँ उजाड़ें या आशियाँ बनायें॥