भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गुम कर दिया इन्साँ को यहाँ लाके किसी ने / सीमाब अकबराबादी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सीमाब अकबराबादी |संग्रह= }} Category:गज़ल <poem> गुम कर द...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:02, 4 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
गुम कर दिया इन्साँ को यहाँ लाके किसी ने।
समझे ही नहीं शोब्दे दुनिया के किसी ने॥
जब जोशे-तमन्ना को न रुकते हुए देखा।
आग़ोश में ले ही लिया घबरा के किसी ने॥