भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"देख जिऊँ माई नयन रँगीलो / कृष्णदास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कृष्ण }} Category:पद <poeM>देख जिऊँ माई नयन रँगीलो। लै चल...)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=कृष्ण
+
|रचनाकार=कृष्णदास
 
}}
 
}}
 
[[Category:पद]]
 
[[Category:पद]]
पंक्ति 10: पंक्ति 10:
 
सुंदर सुभग सुभगता सीमा, सुभ सुदेस सौभाग्य सुसीलो।
 
सुंदर सुभग सुभगता सीमा, सुभ सुदेस सौभाग्य सुसीलो।
 
'कृष्णदास प्रभु रसिक मुकुट मणि, सुभग चरित रिपुदमन हठीलो॥
 
'कृष्णदास प्रभु रसिक मुकुट मणि, सुभग चरित रिपुदमन हठीलो॥
</poeM>
+
</poem>

21:58, 5 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

देख जिऊँ माई नयन रँगीलो।
लै चल सखी री तेरे पायन लागौं, गोबर्धन धर छैल छबीलो॥
नव रंग नवल, नवल गुण नागर, नवल रूप नव भाँत नवीलो।
रस में रसिक रसिकनी भौहँन, रसमय बचन रसाल रसीलो॥
सुंदर सुभग सुभगता सीमा, सुभ सुदेस सौभाग्य सुसीलो।
'कृष्णदास प्रभु रसिक मुकुट मणि, सुभग चरित रिपुदमन हठीलो॥