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"कुछ नई आवाज़ें पुराने कब्रिस्तान से / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर
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16:30, 16 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
मक्खी की तरह पड़ी है
आपकी चाय की प्याली में
हमारी वफ़ादारी
हम
जो बाबर की औलादें नहीं
बाहर निकलना चाहते हैं
पूर्वाग्रह और पाखंड के इस मक़बरे से
आख़िर
कब तक सुनते रहेंगे हम
इतिहास के झूठे खंडहरों में
अपनी ही चीत्कार की अनुगूँज
आप
जो बंसी बजा रहे हैं
गणतन्त्र रूपी गाय की पीठ पर बैठे
शहर के सबसे पुराने क़ब्रिस्तान से
उठती ये आवाजें
सुनाई दे रही हैं आपको !!