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"तुलसीदास के दोहे / तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर

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तुलसी अपने राम को,  भजन करौ निरसंक
 
तुलसी अपने राम को,  भजन करौ निरसंक
  
 
आदि अन्त निरबाहिवो जैसे नौ को अंक ।।
 
आदि अन्त निरबाहिवो जैसे नौ को अंक ।।

02:13, 8 अक्टूबर 2006 का अवतरण

लेखक: तुलसीदास

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तुलसी अपने राम को, भजन करौ निरसंक

आदि अन्त निरबाहिवो जैसे नौ को अंक ।।