भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हम तो चलते हैं लो ख़ुदा हाफ़िज़ / ज़फ़र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
|||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | [[Category: | + | |रचनाकार=बहादुर शाह ज़फ़र |
− | + | |संग्रह= | |
+ | }} | ||
+ | [[Category:ग़ज़ल]] | ||
+ | <poem> | ||
+ | हम तो चलते हैं लो ख़ुदा हाफ़िज़ | ||
+ | बुतकदे के बुतों ख़ुदा हाफ़िज़ | ||
− | + | कर चुके तुम नसीहतें हम को | |
+ | जाओ बस नासेहो ख़ुदा हाफ़िज़ | ||
− | + | आज कुछ और तरह पर उन की | |
− | + | सुनते हैं गुफ़्तगू ख़ुदा हाफ़िज़ | |
− | + | बर यही है हमेशा ज़ख़्म पे ज़ख़्म | |
− | + | दिल का चाराग़रों ख़ुदा हाफ़िज़ | |
− | आज कुछ | + | आज है कुछ ज़ियादा बेताबी |
− | + | दिल-ए-बेताब को ख़ुदा हाफ़िज़ | |
− | + | क्यों हिफ़ाज़त हम और की ढूँढें | |
− | + | हर नफ़स जब कि है ख़ुदा हाफ़िज़ | |
− | + | चाहे रुख़्सत हो राह-ए-इश्क़ में अक़्ल | |
− | + | ऐ "ज़फ़र" जाने दो ख़ुदा हाफ़िज़ </poem> | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | चाहे रुख़्सत हो राह-ए-इश्क़ में अक़्ल | + | |
− | ऐ "ज़फ़र" जाने दो ख़ुदा हाफ़िज़ < | + |
21:28, 20 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
हम तो चलते हैं लो ख़ुदा हाफ़िज़
बुतकदे के बुतों ख़ुदा हाफ़िज़
कर चुके तुम नसीहतें हम को
जाओ बस नासेहो ख़ुदा हाफ़िज़
आज कुछ और तरह पर उन की
सुनते हैं गुफ़्तगू ख़ुदा हाफ़िज़
बर यही है हमेशा ज़ख़्म पे ज़ख़्म
दिल का चाराग़रों ख़ुदा हाफ़िज़
आज है कुछ ज़ियादा बेताबी
दिल-ए-बेताब को ख़ुदा हाफ़िज़
क्यों हिफ़ाज़त हम और की ढूँढें
हर नफ़स जब कि है ख़ुदा हाफ़िज़
चाहे रुख़्सत हो राह-ए-इश्क़ में अक़्ल
ऐ "ज़फ़र" जाने दो ख़ुदा हाफ़िज़