भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तुमने क्या नहीं देखा / ठाकुरप्रसाद सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
}}
 
}}
 
[[Category:नवगीत]]
 
[[Category:नवगीत]]
 
+
<poem>
 
तुमने क्या नहीं देखा
 
तुमने क्या नहीं देखा
 
 
आग-सी झलकती में
 
आग-सी झलकती में
 
  
 
तुमने क्या नहीं देखा
 
तुमने क्या नहीं देखा
 
 
बाढ़-सी उमड़ती में
 
बाढ़-सी उमड़ती में
 
  
 
नहीं, मुझे पहचाना
 
नहीं, मुझे पहचाना
 
 
धूल भरी आंधी में
 
धूल भरी आंधी में
 
  
 
जानोगे तब जब
 
जानोगे तब जब
 
 
कुहरे-सी घिर जाऊंगी
 
कुहरे-सी घिर जाऊंगी
 
  
 
मैं क्या हूँ मौसम
 
मैं क्या हूँ मौसम
 
 
जो बार-बार आऊंगी !
 
जो बार-बार आऊंगी !
 +
</poem>

21:58, 21 अगस्त 2009 का अवतरण

तुमने क्या नहीं देखा
आग-सी झलकती में

तुमने क्या नहीं देखा
बाढ़-सी उमड़ती में

नहीं, मुझे पहचाना
धूल भरी आंधी में

जानोगे तब जब
कुहरे-सी घिर जाऊंगी

मैं क्या हूँ मौसम
जो बार-बार आऊंगी !