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"इन्सान को उसने ख़ाक से पाक किया / सफ़ी लखनवी" के अवतरणों में अंतर
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इन्सान को उसने ख़ाक से पाक क्या।
जी-हौसलये-ओ-साहबे-इदरीक<ref>साहसी एवं विवेकी</ref> किया॥
पहले तो बनाया उसे गंजीनये-इल्म<ref>इल्म का भंडार</ref>।
फिर गंज को पोशीदा-तहे-ख़ाक<ref>कब्र में गाड़ दिया</ref> किया॥
शब्दार्थ
<references/>