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"मौन न अपने से टूटेगा / नचिकेता" के अवतरणों में अंतर

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दिन कैसे बदलेंगे
 
दिन कैसे बदलेंगे

17:57, 24 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

दिन कैसे बदलेंगे
हवा नहीं बदली तो

खिड़की, रोशनदान खुले
पर, घनी उमस है
बदहवास मन में
बेचैनी गयी अड़स है
खुशबू नहीं मिलेगी
अगर न खिली कली तो
आसमान का मौन
न अपने से टूटेगा
नमी बिना क्यों अंकुर
बीहन में फूटेगा
वर्षा होगी
अगर घिरी काली बदली तो

बिना कंठ खोले ही
क्या विरहा ठनकेगा
बिना कठिन संघर्ष
न यह मौसम बदलेगा
सूत कतेंगे
अगर मिले रुई
तकली तो।