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"है अभी महताब बाक़ी और बाक़ी है शराब / फ़िराक़ गोरखपुरी" के अवतरणों में अंतर

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है अभी महताब बाक़ी और बाक़ी है शराब
और बाक़ी मेरे तेरे दरम्याँ सदहा हिसाब।

दीद अन्दर दीद, हैरानम हेजाब अन्दर हेजाब
वाय बावस्फ़े ईं क़दर-राजो-नयाज़ ईं इजतेनाब।

दिल में यूँ बेदार होते हैं ख़यालाते-ग़ज़ल
आँख मलते जिस तरह उट्ठे कोई मस्ते-शबाब