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"दिल अगर फूल सा नहीं होता / जगदीश रावतानी आनंदम" के अवतरणों में अंतर

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10:10, 26 अगस्त 2009 का अवतरण

दिल अगर फूल सा नही होता
यू किसी ने छला नही होता

था ये बेहतर कि कत्ल कर देती
रोते रोते मरा नही होता

दिल में रहते है दिल रुबाओं के
आशिको का पता नही होता

ज़िन्दगी ज़िन्दगी नही तब तक
इश्क जब तक हुआ नही होता

पाप की गठरी हो गई भारी
वरना इतना थका नही होता

होश में रह के ज़िन्दगी जीता
तो यू रुसवा हुआ नही होता

जुर्म हालात करवा देते है
आदमी तो बुरा नही होता

ख़ुद से उल्फत जो कर नही सकता
वो किसी का सगा नही होता

क्यों ये दैरो हरम कभी गिरते
आदमी ग़र गिरा नहीं होता