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है निगहे- रिश्ता-ए-शीराज़ा-ए-मिज़गाँ<ref> बिखरी पलकों को सी देने वाला धागा मुझसे</ref>
वहशते-आतिशे-दिल<ref>हृदय की तपिश के डर से</ref>से शबे-तन्हाई<ref>अकेलेपन की रात</ref> में
सूरते-दूद <ref>धुएँ की तरह</ref>रहा साया गुरेज़ाँ <ref>बचता</ref>मुझसे