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"बदगुमाँ हम से हो गया कोई / परमानन्द शर्मा 'शरर'" के अवतरणों में अंतर

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जान से हाथ धो गया कोई
 
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लाश को देख कर `शरर'की कहा
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06:44, 8 सितम्बर 2009 का अवतरण


बदगुमाँ हम से हो गया कोई
बहरे-ग़म में डुबो गया कोई

उनको अपना के मैं समझता था
आसरा दिल का हो गया कोई

जान तक दे राहे-उल्फ़त में
इश्क़ के दाग़ धो गया कोई

रिंद तो हश्र में थे होंठ सिये
फ़िक्रे-जन्नत में खो गया कोई

मेरे मरने के बाद मदफ़न पर
चुपके-चुपके-से रो गया कोई

शम्मे-बेमितर को ख़बर न हुई
जान से हाथ धो गया कोई

देख कर लाश को `शरर' की कहा
रोते-रोते है सो गया कोई