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"छाया और धूप को लेकर / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर

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18:48, 12 सितम्बर 2009 का अवतरण

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समन्दर किनारे

भागते हुए

मैंने धूप का एक टुकड़ा उठाया

और अपनी हथेली में बंद कर लिया



रेगिस्तान में

सफ़र करते हुए

मैंने छाया

का एक अंश पकड़ा

और दूसरी मुट्ठी में

सहेज लिया



पर्वत पर चढ़ते हुए

रुककर

मैंने अपनी हथेलियां खोलीं

और लड़खड़ा गया......



बताओ तो भला

कौन चल पाया है

बिना लड़खड़ाए,

छाया और धूप को

एक साथ मुट्ठियों में भरकर